This is one of my favourite poets excellent poem written in the most simple way - by way of expression. His writing is par excellence when 'simplicity' is to be considered. Most of his words are simple and all his poems look simple yet the meaning they convey is so profound. That is great work. Anyone can make simple thing look profound or flowery but to convey profound meaning through normal, simple every day words well, that calls for real clarity of thought.
जीवन कटना था, कट गया - Neeraj
जीवन कटना था, कट गया
अच्छा कटा, बुरा कटा
यह तुम जानो
मैं तो यह समझता हूँ
कपड़ा पुराना एक फटना था, फट गया
जीवन कटना था कट गया।
रीता है क्या कुछ
बीता है क्या कुछ
यह हिसाब तुम करो
मैं तो यह कहता हूँ
परदा भरम का जो हटना था, हट गया
जीवन कटना था कट गया।
क्या होगा चुकने के बाद
बूँद-बूँद रिसने के बाद
यह चिंता तुम करो
मैं तो यह कहता हूँ
करजा जो मिटटी का पटना था, पट गया
जीवन कटना था कट गया।
बँधा हूँ कि खुला हूँ
मैला हूँ कि धुला हूँ
यह विचार तुम करो
मैं तो यह सुनता हूँ
घट-घट का अंतर जो घटना था, घट गया
जीवन कटना था कट गया।
(reeta - abhaav, something missing
patna - that which is to be paid, karz
risna - diya gaya hai, one that is given)
PS: If any of you find it difficult to understand please let me know, will translate it for you in English)
What did you understand from this poem?
How did you relate with it?
1 comment:
Did not understand mam
Post a Comment